Navagraha Dosh : कुएं का पानी शीतल होता है। आज भी ग्रामीण क्षेत्र के किसान कुएं के पानी का इस्तेमाल भोजन पकाने और पीने के लिए करते हैं। धार्मिक स्थलों पर मंदिर और कुएं अथवा तालाब जरूर देखे जाते हैं। विवाह के दौरान होने वाली पूजन विधियों में कुआं पूजनीय है। लेकिन एक ऐसा भी कुआं है जो पूरी दुनिया के लिए अजूबा है। यह कुआं बिहार के हाजीपुर में है। इसका पानी मानो ‘वरदान’ साबित हो रहा है। दरअसल, हाजीपुर स्थित कबीर मठ के परिसर का यह कुआं नौ प्रकार के स्वाद वाले पानी के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलग-अलग मुहाने का पानी आपको अलग-अलग स्वाद देता है।
आकर्षण का केंद्र बना कुआं
सभी नौ ग्रहों के दोष को दूर करने के कारण इसका नाम ‘नवग्रह कुआं’ पड़ गया है। यहां अलग-अलग राज्यों के श्रद्धालु सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन आते हैं। गंगा और गंडक के संगम पर स्थित यह कुआं न सिर्फ श्रद्धालुओं बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है। यहां आने वाले तमाम लोग पानी पीने के बाद आश्चर्यचकित हो जाते हैं। इसका निर्माण साल 1640 में हुआ था। नवग्रह कुआं और नदी के बीच की दूरी 100 फीट है इसके बावजूद इसका जलस्तर नदी के जलस्तर से हमेशा ऊंचा ही रहता है। ऐसा क्यों होता है, यह भी एक रहस्य है। ऐसी मान्यता है कि यह कुआं भगवान की तरह लोगों को शांति पहुंचाता है। स्थानीय लोगों का मत है कि इस पर किसी भी प्राकृतिक आपदा का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। आज तक यह पूर्णतः सुरक्षित है।
क्या हैं कुआं का रहस्य?
विश्वप्रसिद्ध सोनपुर पशु मेले के दौरान इस कुएं को देखने के लिए खूब भीड़ उमड़ती है। इसका पानी इस दौरान काफी डिमांड में रहता है। धीरे-धीरे इस कुएं के प्रति आस्था बढ़ गई है। ग्रहों के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए यहां अनेकों लोग आते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि हजारों लोग कुएं का पानी पीकर ग्रह दोष से मुक्त हुए हैं। देश-विदेश के शोधकर्ताओं की टीम ने जब इस कुएं का सच पता किया तो उन्हें मालूम हुआ कि इसके नौ अलग-अलग मुहाने के पानी में नौ अलग-अलग मिनरल हैं। इसी कारण इसका स्वाद अगल-अलग है। यानी वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया कि नवग्रह कुएं का पानी सच में नौ अलग-अलग स्वाद देता है। नवग्रह कुआं आस्था के साथ-साथ टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। अब बिहार आने वाले विदेशी पर्यटक भी यहां की यात्रा कर रहे हैं।