भोपाल: नीम का उपयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता है। नीम की पत्तियां कई रोगों को दूर करने में मददगार साबित होता है। इसके साथ-साथ फ्लू और वायरल से मुक्ति दिलाने के लिए भी कारगार होता है। इस समय कोरोना का कहर हर जगह छाया हुआ है। इस समय उसकी कोई दवाई सामने नहीं आई है। तो अब सिर्फ सावधानी और आयुर्वेद के नुस्खों से ही हम कोरोना से बच सकते हैं। जिसमें नीम भी बहुत कारगार होता है।
नीम कोरोना के इलाज के लिए बहुत असरदार हो सकता है। इसे लेकर ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद ( AIIA ) के साथ मिलकर भारतीय औषधि निर्माता कंपनी निसर्ग कंपनी निसर्ग द्वारा डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स की एक टीम तैयार की गई है। यह टीम विशेष तौर पर नीम के औषधीय गुणों का कोरोना पर प्रभाव देखेगी और उसकी जांच करेगी।
जानकारी के अनुसार, डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों की टीम साथ मिलकर हरियाणा राज्य के फरीदाबाद शहर स्थित (ESIC) हॉस्पिटल में कोरोना पर नीम के असर का ह्यूमन ट्रायल शुरु किया जाएगा।
आइए, यहां जानते हैं किन किन बीमारियों में नीम है कारगार…
-नीम एक भारतीय जड़ी बूटी है। प्राकृतिक चिकित्सा जगत में नीम के महत्व को देखते हुए भारत द्वारा इस पौधे को पेटेंट भी कराया गया है। आयुर्वेद के अनुसार नीम का उपयोग कर रक्त, पाचन और त्वचा के कई असाध्य रोगों को ठीक किया जा सकता है। इसके साथ ही आम बुखार, दाद, खाज-खुजली, मच्छरों का काटना, फंगल इंफेक्शन और पुराने घाव ठीक करने में भी नीम बहुत अधिक प्रभावी पौधा है।
– अगर आपको स्किन प्राबलम है तो आप नीम का उपयोग कर उसे ठीक कर सकते हैं। इसके अलावा अगर त्वचा पर कोई संक्रमण हो गया है तो भी आप नीम की पत्तियां पीसकर इसे संक्रमित जगह पर लगा लें और जल्द फायदा मिलेगा।
– -जो लोग नहाने के पानी में नीम की पत्तियों का उपयोग करते हैं, उनकी त्वचा पर कभी भी किसी तरह के बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण नहीं होते हैं। कुछ लोगों की स्किन बहुत अधिक संवेदनशील होती है और बार-बार उनकी त्वचा पर फोड़े-फुंसी, दाद-खाज या दूसरे संक्रमण होते रहते हैं।
-जो लोग नीम की दातून से दांतों की सफाई करते हैं, उन्हें जीवन में कभी दांत दर्द या कैविटी की समस्या नहीं होती है। यदि दांत दर्द शुरू होने के बाद या कैविटी की समस्या होने के बाद भी आप नियमित रूप से नीम की दातून करेंगे तो धीरे-धीरे आपको इन समस्याओं से पूरी तरह मुक्ति मिल जाएगी।
-जो लोग नहाने के पानी में नीम की पत्तियों का उपयोग करते हैं, उनकी त्वचा पर कभी भी किसी तरह के बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण नहीं होते हैं। कुछ लोगों की स्किन बहुत अधिक संवेदनशील होती है और बार-बार उनकी त्वचा पर फोड़े-फुंसी, दाद-खाज या दूसरे संक्रमण होते रहते हैं।