Indira Gandhi Death Anniversary : बात 31 अक्टूबर 1984 की है, दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास और शहर में सबकुछ ठीक ठाक था। भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भुवनेश्वर में एक दिन पहले ही भाषण देकर लौटी थी, जिसके चलते उन्हें थोड़ी थकान थी। लेकिन काम की व्यस्ता के चलते वह आराम नहीं कर पाई थी। किसी तरह सोनिया गांधी ने इंदिरा को दवाई दी और आराम करने को कहा लेकिन वह रातभर जागती रही। किसी तरह इंदिरा गांधी ने वो रात काटी और अगले दिन की तैयारी में जुट गई। 31 अक्टूबर की सुबह इंदिरा गांधी ने अपने निर्धारित कार्यक्रमों की जानकारी ली और तैयारियों में जुट गई।
केसरिया साड़ी पहनकर निकली इंदिरा
31 अक्टूबर को इंदिरा गांधी एक डॉक्यूमेंट्री के लिए इंटरव्यू देने वाली थी। उनके निधार्रित कार्यक्रमों के तहत दोपहर में उन्हें पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री जेम्स कैलाहन से मिलना था। इसके अलावा उनका डिनर राजकुमारी ऐनी के साथ होना तय था जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह भी शामिल होने वाले थे। इंदिरा सुबह उठी और उन्होंने इंटरव्यू के लिए अपना मेकअप कराया। इस दौरान उन्होंने केसरिया साड़ी पहनी हुई थी। इंटरव्यू से पहले इंदिरा गांधी को बुलेटप्रूफ जैकेट पहनने की सलाह दी गई क्योंकि उन्हें मारने की धमकियां मिल रही थी। लेकिन उन्होंने जैकेट पहनने से इनकार कर दिया। इंदिरा गांधी सुबह करीब 9 बजे कमरे से लॉन के लिए निकलीं। इस दौरान उनके साथ उनके निजी सचिव आरके धवन, सिपाही नारायण सिंह और रामेश्वर दयाल मौजूद थे।
सुरक्षाकर्मियों ने बरसाई गोलियां
उस समय पंजाब में आतंकवाद फैला हुआ था। जरनैल सिंह भिंडरांवाले के आतंकियों ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में ठिकाना बनाया हुआ था। आतंकियों के खिलाफ इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू करने का आदेश दिया था जिसमें भिंडरावाले के कई आतंकी मारे गए थे। इस दौरान अमृतसर मंदिर को काफी क्षति पहुंची थी जिसको लेकिर सिख समाज में काफी रोष था। इंदिरा को इसी के चलते लगातार धमकियां दी जा रही थीं। इतना ही नहीं इंदिरा गांधी की सुरक्षा में तैनात सिख सुरक्षाकर्मियों को हटाने के भी आदेश दिए थे, लेकिन इंदिरा ने इससे खुद इनकार कर दिया था। इंदिरा गांधी जैसे ही अपने आवास के गेट पर पहुंची तो उनकी सुरक्षा में तैनात बेअंत सिंह ने उनपर दो गोलियां दाग दी, जिसमें से एक गोली इंदिरा के सीने में लगी। इंदिरा को गोली लगते ही वह जमीन पर गिर गई। उसके बाद दूसरे सुरक्षाकर्मी सतवंत सिंह ने इंदिरा गांधी पर अपनी बंदूकी की पूरी की पूरी मैगजीन खाली कर दी। बताया जाता है कि सतवंत सिंह ने इंदिरा में करीब 28 गोलियां दागी थी।
गाउन में अस्पताल लेकर पहुंची थी सोनिया…
इंदिरा गांधी पर जैसे ही हमले की आवाज रामेश्वार दयाल ने सुनी तो वह तुरंत इंदिरा गांधी की ओर दौड़ा लेकिन सतवंत सिंह ने उसे भी गोली मार दी। इसके बाद सोनिया गांधी नंगे पैर गाउन में सोनिया के पास पहुंची और उन्हें तुरंत आरके धवन की मदद से एंबेसडर की पिछली सीट पर लिटाया और एम्स अस्पताल की ओर रवाना हुई। इस दौरान सोनिया गांधी पूरे रास्तेभर इंदिरा गांधी को जगाने की कोशिश करती रही। वह यही कहती रहीं कि मां उठो अस्पताल आने वाला है। आप हिम्मत रखों मैं आपके साथ हूं।
डॉक्टरों में मचा हड़कंप
रात के करीब 9 बजकर 30 मिनट पर एंबेसडर इंदिरा गांधी को लेकर एम्स पहुंची। किसी को पता नहीं था कि ऐसी हालत में प्रधानमंत्री आएंगी। जैसे ही डॉक्टरों को पता लगा की पीएम को गोली लगी है तो पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया। जैसे ही डॉक्टर इंदिरा जी के पास पहुंचे तो काफी खून बह चुका था। उन्हें तुरंत खून चढ़ाया गया। उन्हें करीब 80 बोतल खून चढ़ाया गया लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी। डॉक्टरों के अनुसार इंदिरा गांधी की बड़ी आंत में 12 छेद हो गए थे। उनके फेफड़े में भी गोलियां लगी थी। डॉक्टरों की लाख कोशिशों के बाद भी इंदिरा ने दुनिया को अलविदा कह दिया था।