नई दिल्ली. अक्सर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ईमानदार टैक्सपेयर्स की बात करते हैं और उनकी तारीफे भी करते हैं। इस बार पीएम मोदी ने ईमानदार टैक्सपेयर्स को उनकी ईमानदारी का अवॉर्ड तक देने की व्यवस्था की है। आज पीएम मोदी ने टैक्स प्रोग्राम लॉन्च किया, जिसका नाम ट्रांसपैरेंट टैक्सेशन है यानी पारदर्शी टैक्स व्यवस्था। इस प्रोग्राम को एक टैगलाइन भी दी गई है ‘ईमानदारों को सम्मान’। आइये जानते हैं इस मौके पर पीएम मोदी ने क्या कहा…
इस प्लेटफॉर्म में फेसलेस असेसमेंट,फेसलेस अपील, टैक्सपेयर्स चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म्स हैं। फेसलेस असेसमेंट, टैक्सपेयर्स चार्टर आज से लागू हो गए हैं। फेसलेस अपील की सुविधा 25 सितंबर यानि दीन दयाल उपाध्याय जी के जन्मदिन से पूरे देशभर में नागरिकों के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जब देश के ईमानदार टैक्सपेयर का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बढ़ता है।
एक दौर था जब हमारे यहां रिफॉर्म्स की बहुत बातें होती थीं। कभी मजबूरी में कुछ फैसले लिए जाते थे, कभी दबाव में कुछ फैसले हो जाते थे, तो उन्हें रिफॉर्म कह दिया जाता था। इस कारण इच्छित परिणाम नहीं मिलते थे। अब ये सोच और अप्रोच, दोनों बदल गई हैं।
भारत के टैक्स सिस्टम में फंडामेंटल और स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स की ज़रूरत इसलिए थी क्योंकि हमारा आज का ये सिस्टम गुलामी के कालखंड में बना और फिर धीरे धीरे विकसित हुआ। आज़ादी के बाद इसमें यहां वहां थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए, लेकिन ज़्यादातर सिस्टम का चार्टर वही रहा।
अब हाईकोर्ट में 1 करोड़ रुपए तक के और सुप्रीम कोर्ट में 2 करोड़ रुपए तक के केस की सीमा तय की गई है। ‘विवाद से विश्वास’ जैसी योजना से कोशिश ये है कि ज्यादातर मामले कोर्ट से बाहर ही सुलझ जाएं।
कोशिश ये है कि हमारी टैक्स प्रणाली सीमलेस हो, पेनलेस हो, फेसलेस हो। सीमलेस यानी टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन, हर टैक्सपेयर को उलझाने के बजाय समस्या को सुलझाने के लिए काम करे। पेनलेस यानी टेक्नॉलॉजी से लेकर नियमों तक सब कुछ सिम्पल हो।
प्रक्रियाओं की जटिलताओं के साथ-साथ देश में टैक्स भी कम किया गया है। 5 लाख रुपए की आय पर अब टैक्स जीरो है। बाकी स्लैब में भी टैक्स कम हुआ है। कॉर्पोरेट टैक्स के मामले में हम दुनिया में सबसे कम टैक्स लेने वाले देशों में से एक हैं।
अब टैक्सपेयर को उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का भरोसा दिया गया है। यानि आयकर विभाग को अब टैक्सपेयर की गरिमा का संवेदनशीलता के साथ ध्यान रखना होगा। अब टैक्सपेयर की बात पर विश्वास करना होगा, डिपार्टमेंट उसको बिना किसी आधार के ही शक की नज़र से नहीं देख सकता।
वर्ष 2012-13 में जितने टैक्स रिटर्न्स होते थे, उसमें से 0.94 परसेंट की स्क्रूटनी होती थी। वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा घटकर 0.26 परसेंट पर आ गया है। यानि केस की स्क्रूटनी, करीब-करीब 4 गुना कम हुई है। स्क्रूटनी का 4 गुना कम होना, अपने आप में बता रहा है कि बदलाव कितना व्यापक है।
इन सारे प्रयासों के बीच बीते 6-7 साल में इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में करीब ढाई करोड़ की वृद्धि हुई है। लेकिन ये भी सही है कि 130 करोड़ के देश में ये अभी भी बहुत कम है। इतने बड़े देश में सिर्फ डेढ़ करोड़ साथी ही इनकम टैक्स जमा करते हैं।