कोई भी वस्तु को ऊपर भेंकने पर वह नीचे ही आती है, क्योंकि गुरूत्वाकर्षण बल के चलते ऐसा होता है। गुरूत्वाकर्षण इतना प्रभावशाली होता है कि वायु के कण भी हवा में तैरने के बाद जमीन पर आ जाते है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि आखिर आग की लौ ऊपर क्यों जाती है। जब वायु में उड़ने वाले कण गुरूत्वाकर्षण के चलते नीचे आ जाते है लेकिन आग की लपटें ऊपर ही क्यों जाती है। क्या आप जानते है, आइए बताते है…
दरअसल, एक रिसर्च के अनुसार सभी वैक्स अनिवार्य रूप से हाइड्रोकार्बन होते हैं, इसका मतलब है कि वे काफी हद तक हाइड्रोजन और कार्बन परमाणुओं से बने होते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड के कणों का भार ऑक्सीजन के कणों से कम होता है। यही कारण है कि ऑक्सीजन के कण कार्बन डाइऑक्साइड के कणों को हटाते हुए नीचे की तरफ चले जाते हैं। हम यह भी कह सकते हैं कि कार्बन डाइऑक्साइड हल्की होती है इसलिए ऊपर की तरफ जाती है और ऑक्सीजन भारी है इसलिए नीचे बैठती है।
असल में आग ऊपर की तरफ नहीं भड़कती है, बल्कि यह पृथ्वी की तरफ आ रहे ऑक्सीजन के कणों को नष्ट कर रही होती है और इस प्रक्रिया में जो दृश्य बनता होता है उससे ऐसा लगता है कि जैसे आग ऊपर की तरफ भड़क रही है। लेकिन जब ऑक्सीजन के कणों की संख्या ज्यादा हो जाती है वह गर्म गैसों पर हमला कर देते हैं और इसके कणों को तितर-बितर कर देते हैं। ऐसा होने पर आपको लगता है कि आग बुझ गई है।