जब भारत अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था उस दौर में अंग्रेजों के अत्याचार उनके कायदें कानून से अच्छे अच्छे खौफ खाते थे, लेकिन एक भारतीय महिला ऐसी भी थी जिससे अंग्रेज खौत खाते थे, जो बम बनाने में काफी माहिर थी। लंबे काले बाल रखने वाली, काले कपड़े, तीन साल का बच्चा, कभी सरदार का रूप तो कभी अन्य रूप रखने वाली क्रांतिकारी दुर्गावती यानी दुर्गा भाभी की कहानी उनका साहस महिलाओं के लिए किसी मिशाल से कम नहीं है। दुर्गावती को इतिहास में दुर्गा भाभी के नाम से ही पहचाना जाता है।
दुर्गा भाभी के साहस की बात करें तो एक बार उन्होंने सरेआम अंग्र्रेजों के सामने एक सार्जेन्ट की गोली मार भाग निकली थी। अंग्रेजी पुलिस कई बार दुर्गा को पकड़ने के लिए दबिश देती लेकिन हमेशा एक हाथ में पिस्तौल रखने वाली दुर्गा पुलिस के चुंगल में नहीं आ सकी। वही पुलिस भी जानती थी कि दुर्गा का निशाना कभी चूक नहीं सकता, इसलिए अंग्रेजी पुलिस भी दुर्गा से खौफ खाती थी। दुर्गा भाभी क्रांतिकारी भगत सिंह के दल की सदस्य थी, वह बम बनाने में माहिर थी। दुर्गा क्रांतिकारियों के ठिकानों तक हथियारों को पहुंचाने का काम करती थी।
दुर्गावती का नाम दुर्गा भाभी क्यों?
दुर्गावती का विवाह 11 साल की उम्र में ही हो गया था। उनके पति का नाम भगवती चरण वोहरा था। दुर्गावती भगत सिंह, सुख देव और राजगुरू जैसे क्रांतिकारियों के साथ रहती थी। इसलिए दल के सभी सदस्य दुर्गावती को दुर्गा भाभी कहकर पुकारते थे। भगत सिंह जब जेल में थे तो उन्हें जेल से छुड़ाने के लिए बम बनाते वक्त दुर्गावती के पति भगवती चरण वोहरा शहीद हो गए थे। पति की मौत के बाद भी दुर्गा भाभी ने अपने कदम पीछे नहीं किया, वह लगातार अंग्रेजों से लोहा लेती रही।
भगत सिंह से दुर्गा का रिश्ता?
दुर्गा भाभी और भगत सिंह का रिश्ता यूं तो क्रांति का था। भगत सिंह, दुर्गा और उनके पति वोहरा, सभी एक ही दल के सदस्य थे सो उनके बीच दोस्ताना संबंध भी था। सभी दुर्गा को भाभी कहा करते थे तो इस नाते भगत सिंह भी उनके देवर हुए। लेकिन अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंकने के लिए दुर्गा, भगत सिंह की पत्नी भी बन जाती थीं। लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह ने सैंडर्स की हत्या की योजना बनाई थी। तब दुर्गा भाभी ने ही भगत सिंह और उनके साथियों को टीका लगाकर रवाना किया था। इस हत्या के बाद अंग्रेज भगत सिंह के पीछे पड़ गए थे। तब दुर्गावती और भगत सिंह ब्रिटिश पति-पत्नी के जोड़े के रुप में पुलिस की आंखों में धूल झोंककर सुरक्षित बच निकले थे।
दुर्गा ने किया आत्मसमर्पण
1929 में जब भगत सिंह ने विधानसभा में बम फेंका और फिर अपने साथियों संग आत्मसमर्पण कर दिया था, तब दुर्गा भाभी ने के बाद आत्मसमर्पण किया था, तब दुर्गा भाभी ने लॉर्ड हैली की हत्या करने का प्रयास किया था। उन्होंने एक बार भगत सिंह और उनके साथियों की जमानत के लिए अपने गहने तक बेच दिए थे। भगत सिंह को बचाने की योजना बनाने को लेकर जब चंद्रशेखर आजाद अल्फ्रेड पार्क से गुजर रहे थे तो अंग्रेजों ने उन्हें चारो ओर से घेर लिया था। खुद को घिरा महसूस कर आजाद समझ गए थे कि उनके बचने की अब कोई गुंजाइश नहीं है, लेकिन उनके पिस्तौल में तब एक ही गोली बची, तब आजाद ने निर्णय लिया कि वह अपने पिस्तौल से खुद को गोली मारकर शहीद हो जाएंगे। जिस पिस्तौल से भगत सिंह ने अपनी कनपटी में गोली मारी थी वह पिस्तौल उन्हें दुर्गा भाभी ने ही दी थी।